Monday, October 4, 2010

Aapke jawaab mein

छोटी छोटी रंजिशों में प्यार ढूंढ लें तो जाने
कोसों दूर रहने वाले की भावना को समझ पाएं तो जाने
ठहाके मारने के दिन तो उसी क्षण लद गए
जब बिलखती आँखों के मायने आपके लिए हो गए बेमाने


स्व-जड़ित कैदों से विचार मुक्त हो पाएं तो जाने
किसी की यादों से खुद को विमुख कर पाएं तो जाने
गनीमत सिलवतें ही थी, क्या आप भूल गए,
अपने हाथों के उस स्पर्श को हमसे छीन पाएं तो जाने

किसी की उल्फतों को नज़र-अंदाज़ कर पाए तो जाने

सोचते हैं की कभी तो दर्द बयान कर पाएं
उस काली कलम से शब्द छीन पाएं तो जाने
जिन सवालों के जवाब से आप खुद रहे बेखबर
वो छोड़ हमें, खुद से पूछें तो जाने

हमारे इकरार को मुक़र्रर कर पाएं तो जाने

क्या खूब-ऐ-किस्मत हमारा मजाक उड़ाया करती है
हमारी की गयी प्रशंसा को दरकिनार करिए तो जाने
आपकी खामोशी हमसे हमको ही छीन कर ले गयी
वो हंसी, वो नाटक, वो वो नाराजगी लौटा पाएं तो जाने

कभी अपने शालीन-ऐ-अंदाज़ में "मेरे साथ चलोगी" सुना पाएं तो जाने

गिरफ्त प्यार की न होती तो हम भी अहंकार-ऐ-सराबोर थे
हमारी हालत को समझ कर खुद पास आयें तो जाने
शिद्दत से बटोरा है हमने हर उस लम्हे को
उन लम्हों से खुद को छुड़ा पाएं तो जाने

रंजिशों को छोड़ हमें अपना पाएं तो जाने

1 comment:

Manish Mania said...

ranjish hi sahi dil dukhane ke liye aa
aa phir se mujhe chod ke jaane ke liye aa